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29 Jul 2023 · 1 min read

दारू की महिमा अवधी गीत

तोहरे अंदर बड़ी कला है, हे दारू महरानी
तुहका जे अपनाय लिहिस ऊ अउर न केहुक जानी
तोहरे अंदर०——-
१- बड़का गुन ई तोहरे भीतर, बुद्धी का चकरावत हिव
फेर तू सगरिव रिस्ता नाता, ताखे मा पहुंचावत हिव
एक घूँट जे तुहका मारिस, मरि गा आंखिक पानी
तोहरे अंदर०—

२-जेकरे गटयिक नीचे उतरिव l, हे अंगूरी दारू
भूलि गवा ऊ माई बाप का, लडिका औ मेहरारू
नीक तुहिन बस देखौ बाकी, सारी दुनिया कानी
तोहरे अंदर०—
३-बचपन कै तू तूरौ मिताई, भाइव का लड़वावत हिव
बढ़ियस बढ़िया खानदान कै, इज़्ज़त तू लुटवावत हिव
तुहरे नज़र मा सब हैं मूरख, तुमहिन एक सयानी
तोहरे अंदर०——-
४–जेहके घर मा पहुंच गयिव तौ, वाहिका किहेव भिखारी तू
तुहका जे अपनावा वहिसे, बेचवायेव लोटा थारी तू
तुहका पीकै कूद परे हैं, नलियम बड़का ज्ञानी
तोहरे अंदर०—–
५– तोहरेव अंदर दोस है कौनउ, होय न ई आभास दिहेव
गंदा नलिया पथरेव मा तू, मखमल कै अहसास दिहेव
मुल्ला रब का भूल गए हैं, पंडित जी जजमानी
तोहरे अंदर०—-
६–भए बियाहे मुड़ने छेदनेम, तुहैं अलग सम्मान मिलै
जहां रहौ तू वहि संगत मा, बड़े बड़े विद्वान मिलै
लल्लू पंजू घुरहू प्रीतम, हुंवा न कोइ अज्ञानी
तोहरे अंदर०—–

प्रीतम श्रावस्तवी

Language: Hindi
Tag: गीत
137 Views
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