मेरा जीवन बंजारा
मेरा ये जीवन बंजारा,
मेरे मन को भाता है।
फूलों के संग शूलो सा,
सुख दुःख से अपना नाता है।
सुख की है परवाह किसे
संघर्ष ही अपने साथी हैं।
मेहनतकश हाथों से हमको,
तकदीर बदलनी आती है।
है ईश प्रभु का कुछ ऐसा,
झंझावात में भी दीप जला।
क्यों हम हारे वो जीत गये,
ऐसा भी न हमको कोई गिला।
पर कभी-कभी मेरा ये मन,
नितान्त उद्विग्न हो जाता है ।
जो अडिग निरत संघर्षों में
सूनेपन से डर जाता है।
कुछ अन्तर में पलते सपने,
जीने का यही सहारा हैं।
निज लक्ष्य वरें या स्वजन चुनें
इस दुविधा में मन हारा है।
स्वजनों से ही है जीवन
पर लक्ष्य भी जीवन स्पन्दन।
कुछ समझ न पाता मेरा मन,
आर्त हृदय करता क्रन्दन।