मेघा तू सावन में आना🌸🌿🌷🏞️
मेघा तू सावन में आना
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जगत प्रकृति रानी ने …..
सपनो का पथ बनाया
अष्ट दलीय सफेद पुष्प
शेफाली का माला गुंथा
लाल झुमके सी मालती
फुलों से सुंदर सेज सजाया
निर्मल नील अम्बर से आना
मेघा तू सावन में आना
फुहारी हाथों से छूने आना
आकांक्षा पूरी कर जाना
मेघा तू सावन में आना
शरत सुन्दरी एक मैं और तू
शीतल शिशिर बयार लाना
उमड़ी गंगा यमुना की तट
सागर नदी नावों से भरने
राज हंस पंख पसार रहा
मोर मयूरी चन्द्र मौली सी
विहवल हो भू गुलशन
झूम झूम नृत्य दिखा रहा
सावन बरखा फुहारों से
स्पर्श नहाने मचल रहा
पग तल नग थल जलचर
जीव वृंद कला में मस्त हो
काले बदरा को गले लगाने
कह रहा मेघा तू सावन में आ
घटा घनघोर नभ भरने आना
वन पर्वत खेतों को छूते आना
नदी नाले ताल सरोवर नव
पानी से जलमग्न करनेआना
गगन आंगन भरा मेघों से
अपलक नयनों से देख रही
द्वार अकेले बैठी घटा अंधेरे
अभिसार के लिए पुकार रही
दीपक वाती की उजाला नहीं
बुझे दिल र्मे दीप जलाने आना
निबिड़ निशा की कसौटी में
आंखो से पानी झर झरा रहा
सावन मेघों की विस्तृत छाया
वन भूमि गुंजन रहित दरबाजे
दस्तक देने मेघा तू आ जाना
खिड़की आंगन खुला हुआ
निज कमरे इक कोने बैठी
अंधेरी रात रिक्त पहर में कब
से अश्रु धारा झर झरा रहा
उड़न प्राण पखेरू बचा जाना
नदी कछार बरसातों की झड़ी
बाट जोहने के थकान मिटाने
मेघों की ओंठ से मधुर हास्य
भू ललाट पर तेरे कर स्पर्श का
आनंद असंख्य छोड़ बन्द ताल
झरने को तीव्र संवादी स्वर देने
सूनी गोद खेतों की बगिया
धान पनीरी गगरी नदिया भरने
काले मेघा तू .सावन में आना
आनंद उन्मत्त जीवन खग वृंद
घास पात खिल खिला उठा
धूल मिट्टी कीचड़ बन बैठा
ताल तिलैया जल से लवालव
हो पूर्णता की दरस दिखा रहा
प्राणी में नव प्राण संचार करानें
मेघा तू सावन में आना
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तारकेश्वर प्रसाद तरूण