Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Mar 2024 · 1 min read

यदि आपका चरित्र और कर्म श्रेष्ठ हैं, तो भविष्य आपका गुलाम हो

यदि आपका चरित्र और कर्म श्रेष्ठ हैं, तो भविष्य आपका गुलाम होगा।।

✍️ लेखक लोकेश शर्मा

36 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सपने
सपने
Divya kumari
सारी दुनिया में सबसे बड़ा सामूहिक स्नान है
सारी दुनिया में सबसे बड़ा सामूहिक स्नान है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दो दिन की जिंदगानी रे बन्दे
दो दिन की जिंदगानी रे बन्दे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ओम के दोहे
ओम के दोहे
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
सुख की तलाश आंख- मिचौली का खेल है जब तुम उसे खोजते हो ,तो वह
सुख की तलाश आंख- मिचौली का खेल है जब तुम उसे खोजते हो ,तो वह
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मौसम - दीपक नीलपदम्
मौसम - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
किसी को इतना मत करीब आने दो
किसी को इतना मत करीब आने दो
कवि दीपक बवेजा
सत्यं शिवम सुंदरम!!
सत्यं शिवम सुंदरम!!
ओनिका सेतिया 'अनु '
ग़ज़ल/नज़्म : पूरा नहीं लिख रहा कुछ कसर छोड़ रहा हूँ
ग़ज़ल/नज़्म : पूरा नहीं लिख रहा कुछ कसर छोड़ रहा हूँ
अनिल कुमार
सविता की बहती किरणें...
सविता की बहती किरणें...
Santosh Soni
कैसा होगा कंटेंट सिनेमा के दौर में मसाला फिल्मों का भविष्य?
कैसा होगा कंटेंट सिनेमा के दौर में मसाला फिल्मों का भविष्य?
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
भारत का फौजी जवान
भारत का फौजी जवान
Satish Srijan
मन तो मन है
मन तो मन है
Pratibha Pandey
अंधेरों रात और चांद का दीदार
अंधेरों रात और चांद का दीदार
Charu Mitra
*आओ चुपके से प्रभो, दो ऐसी सौगात (कुंडलिया)*
*आओ चुपके से प्रभो, दो ऐसी सौगात (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
पलक झपकते हो गया, निष्ठुर  मौन  प्रभात ।
पलक झपकते हो गया, निष्ठुर मौन प्रभात ।
sushil sarna
कम्बखत वक्त
कम्बखत वक्त
Aman Sinha
मन काशी मन द्वारिका,मन मथुरा मन कुंभ।
मन काशी मन द्वारिका,मन मथुरा मन कुंभ।
विमला महरिया मौज
खरा इंसान
खरा इंसान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*जब से मुझे पता चला है कि*
*जब से मुझे पता चला है कि*
Manoj Kushwaha PS
विश्व पर्यावरण दिवस
विश्व पर्यावरण दिवस
Ram Krishan Rastogi
नीर क्षीर विभेद का विवेक
नीर क्षीर विभेद का विवेक
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
वीर रस की कविता (दुर्मिल सवैया)
वीर रस की कविता (दुर्मिल सवैया)
नाथ सोनांचली
पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ
पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ
Buddha Prakash
रमेशराज की 11 तेवरियाँ
रमेशराज की 11 तेवरियाँ
कवि रमेशराज
श्रीमद्भगवद्‌गीता का सार
श्रीमद्भगवद्‌गीता का सार
Jyoti Khari
#दोहा
#दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
"गमलों में पौधे लगाते हैं,पेड़ नहीं".…. पौधों को हमेशा अतिरि
पूर्वार्थ
मानवता
मानवता
Rahul Singh
बढ़ती हुई समझ,
बढ़ती हुई समझ,
Shubham Pandey (S P)
Loading...