मूर्ख बताने वालो
हमको मूर्ख बताने वालों
खुद को चतुर दिखाने वालों
तुम कागा बन जाओगे
हम तो मस्त फकीरी में है
तुम मन अपना भटकाओगे
क्या क्या जतन जो करते रहते
जाने क्या कुछ कहते रहते
सोचो क्या ले जाओगे
हम तो अपनी धुन रहेंगे
तुम धुन धुन पछताओगे
काहे इधर उधर मचले हो
देख के आगे क्यों पिछड़े हो
यूँ छिछले राह पे जाओगे
हम तो हाथ पे हाथ धरे है
तुम गफलत में रह जाओगे
कर लो चिन्तन मंथन अब भी
थोड़ा पूजा कुछ अर्चन भी
और क्या कुछ कर पाओगे
अपनी तो यही जीवन पूंजी
तुम सबकुछ ही गँवाओगे
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