….. मुहब्बत मेरी पुरानी मिल गयी !
….. मुहब्बत मेरी पुरानी मिल गयी !
@@@@ दिनेश एल० “जैहिंद”
बरसों खोई मोहब्बत मेरी पुरानी मिल गयी ।
मुरझाई मेरी काया को फिर जवानी मिल गयी ।
मेरी आँखों में जो थी पहले से इक सूरत बसी,,
दो-चार दिन हुए वो सूरत तो नूरानी मिल गयी ।
मेरी सोई आत्मा को देके जो हवा उकसाया,,
वो नाचीज़ अब तो मुझे बड़ी तूफ़ानी मिल गयी ।
बेजां थे जो अब तलक लिखे मेरे गीत-ओ-ग़ज़ल,,
उनके आते ही उनको फिर से रवानी मिल गयी ।
जिस जगहा रुक गई थी मेरी कहानी जो अधूरी,,
पूरी होने को आतुर फिर वो कहानी मिल गयी ।
गुजरे थे कशमाकश में मेरे दिन- ओ- रात बड़े,,
अब तो दिन खुशदिल ओ ये रातें सुहानी मिल गयीं ।
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दिनेश एल० “जैहिंद”
15. 05. 2017