मुश्किलों पास आओ
मुश्किलों तुम पास आओ,
और मुझे इतना बताओ।
तुमको अपना मान के
चल पड़े जो ठान के
कैसे उन्हें सताओगी?
रोक कितना पाओगी?
वो जो रुकते ही नही,
और झुकते भी नही।
गिर के सम्भल जाते हैं जो,
तुम्हे देख मुस्काते हैं जो।
आंख मिचोली संग उनके,
खेल कब तक पाओगी?
रोक कितना पाओगी?
क्षण भर जिनसे उदासी,
प्रीत कर पाती नही।
लक्ष्य की लगन में जिन्हें,
नींद भी आती नही।
पीड़ा में हँस दें उन्हें,
क्या भला रुलाओगी?
रोक कितना पाओगी ?
अश्रु जल पाथेय जिनका,
है गगन ही ध्येय जिनका।
मार्ग की सोचे ही न जो,
दर्द से भी स्नेह जिनका।
शूल भरे पथ का भय,
क्या उन्हें दिखाओगी?
रोक कितना पाओगी?