मुट्ठीभर आकाश
(1)
सूरज चाँद सितारों सा एहसास है।
मुट्ठीभर आकाश हमारे पास है।
माँ तुम पास हमारे तो हमको धरती,
इन्द्रधनुष के रंगों वाली घास है।
(2)
मेरा एक खजाना खास, तुम्हीं हो माँ।
पल पल खुशियों का आभास, तुम्हीं हो माँ।
गोद तुम्हारी मेरी जन्नत, बेहद तुम,
मेरा मुट्ठीभर आकाश, तुम्हीं हो माँ।
(3)
जब मन पलभर हुआ उदास, तुमने सर पर हाथ रखा।
पत्थर , हीरा किया तराश, तुमने सर पर हाथ रखा।
सोच रहा था तारे तोडूं और जेब में रख लूँ चंदा,
आया मुट्ठी में आकाश, तुमने सर पर हाँथ रखा।
संजय नारायण