मुझको बहुत पसंद है यह
इस सुबह,
बेखबर फूल जो महक रहा है,
क्योंकि इसको मैंने सींचा है,
अपने प्यार और खूं से,
अपना स्वप्न मानकर,
मुझको बहुत पसंद है यह।
आज इसने रोशन जो किया है,
क्योंकि इसको मैंने जलाया है,
अपनी नेक उम्मीदों और प्रार्थनाओं से,
अपना उज्ज्वल कल मानकर,
मुझको बहुत पसंद है यह।
आज इस दिवस पर दीवार पर,
जो सुंदर तस्वीर लगी है,
क्योंकि इसको मैंने बनाया है,
जीवन की उमंग लेकर,
बहुरंगी अपनी कल्पनाओं से,
अपना प्रतिबिंब समझकर,
मुझको बहुत पसंद है यह।
इस नववर्ष के स्वागत पर,
मुस्कान जो नजर आ रही है,
क्योंकि यही प्रार्थना मैंने की है,
तुम्हारी खुशी और जिंदगी के लिए,
अपनी जिंदगी की खुशी तुम्हें मानकर,
मुझको बहुत पसंद है यह।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)