मुक्तक
गर ये दिल लापता नहीं होता
दर्द का सिलसिला नहीं होता
हम जमाने की क्या खबर रक्खें
मुझको खुद का पता नहीं होता
प्रीतम राठौर भिनगई
श्रावस्ती (उ०प्र०)
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? एक शेर ?
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खिलाते फूल फिर दिल में सितारे तोड़ कर लाते
मेरे दिलबर अगर तुमने कभी हमसे कहा होता
प्रीतम राठौर भिनगई