मुक्तक
1.
मैं अपनी कहती हूं, तुम अपना समझते हो
इस कहने सुनने में तुम सब अपना लगते हो…?
~ सिद्धार्थ
2.
किस हद से गुजरूं की मैं बेहद हो जाऊं
एक तीर बनूं और तेरे दिल की जद कहलाऊं
~ सिद्धार्थ
3.
प्रेम मिले तो राखियो सिर माथे से लगाय
जा ही तो एक चीज है जो रंग भेद से परे नज़र आए…
~ सिद्धार्थ