मुक्तक
गजल का नहीं में बहर जानता हू
ग़रीबी का बस में कहर जानता हू
ना बादे करो तुम यूं बोटो के पीछे
है नांगो से ज्यादा जहर जानता हू
गजल का नहीं में बहर जानता हू
ग़रीबी का बस में कहर जानता हू
ना बादे करो तुम यूं बोटो के पीछे
है नांगो से ज्यादा जहर जानता हू