मुक्तक : सूर्य का जग में नवल उन्मेष हो ( पोस्ट १६)
सूर्य का जग में नवल उन्मेष हो ।
भ्रांति का कोई न मग अब शेष हो ।
हो सुशासन देश में संदेश यह —
मुस्कराता उल्लसित परिवेश हो ।।२!!
—– जितेंद्र कमल आनंद
सूर्य का जग में नवल उन्मेष हो ।
भ्रांति का कोई न मग अब शेष हो ।
हो सुशासन देश में संदेश यह —
मुस्कराता उल्लसित परिवेश हो ।।२!!
—– जितेंद्र कमल आनंद