मात पिता की पुण्यतिथि
मात पिता की पुण्यतिथि जब श्राद्ध पक्ष में आती है
भूली बिसरी यादों से अंतर्मन महकाती है
मां की गोद पिता का साया बचपन याद दिलाता है
प्यार और वात्सल्य याद कर दिल मेरा भर आता है
संस्कार जो दिए आपने काम वो हरदम आते हैं
जीवन पथ की गहराई को सहज ही सुलभ बनाते हैं
त्याग तपस्या बलिदानों की याद हृदय में आती है
अश्रुविंद के गंगाजल से आंख मेरी भर आती है
मात पिता के चरणों में मेरा सहज समर्पण है
श्रद्धा भाव स्वीकार करो गंगाजल से तर्पण है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी