मातृभूमि वंदना
हे मातृभूमि तेरी जय हो ! मैं कैसे करूं बखान?
अनवरत नभ में लहराए तेरा कीर्ति ध्वज महान।
हर ऋतु रूप संवारें तेरा सागर चरण पखारे ।
सूरज चंद्रमा देते पहरा आकर तेरे द्वारे।
जगमगाए तव शीश पे हिमगिरि जैसा मुकुट महान।
हे मातृभूमि तेरी जय हो !मैं कैसे करूं बखान?
हेमघट ले उषा आती सिंदूर से भाल सजाती ।
गाया करते तेरे स्वागत में पक्षी मधुर प्रभाती।
कल कल करती नदिया देती है जीवन का मधुदान।
हे मातृभूमि तेरी जय हो! मैं कैसे करूं बखान?
धानी आंचल तेरा लहरें हर तरफ खुशी बिखेरे।
याचक कभी न लौटा खाली माता दर से तेरे।
अतिथि देवो भव यहाॅं की माटी का मंगल वरदान।
हे मातृभूमि तेरी जय हो! मैं कैसे करूं बखान?
हिंदू -मुस्लिम- सिक्ख- ईसाई सब है तेरे बेटे।
सबकी गौरव गरिमा तू अपने आंचल में समेटे।
धर्म हो कुछ भी हमारा सबसे पहले हैं इंसान।
हे मातृभूमि तेरी जय हो! मैं कैसे करूं बखान?
हर सांस मिली हमें तुझसे तूने ही संस्कार दिया।
तुझसे पाया है प्यार और हमने अब यह प्रण किया।
तेरे हित कर देंगे हम माॅं तन-मन-धन भी कुर्बान।
हे मातृभूमि तेरी जय हो! मैं कैसे करूं बखान?
प्रतिभा आर्य
चेतन एनक्लेव
अलवर (राजस्थान)