Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Mar 2024 · 1 min read

माटी के रंग

किसी गमले के
गुलाब की तरह नहीं,
हम उगे खेतों में
किसी फसल की तरह।

नहीं सींची हमारी जड़ें
माली के फव्वारों ने,
हमारी जड़ों ने
मेघों का सीना चीरकर
पीया पानी
किसी चातक की तरह।

हम माटी में जने
माटी में ही खेले
माटी में सने
माटी खाकर पले
इसलिए गहरा रिश्ता है
माटी से हमारा,
माटी के रंग हैं हमें
जान से प्यारा।

प्रकाशित काव्य-कृति : माटी के रंग
शीर्षक रचना की चन्द पंक्तियाँ।

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत के 100 महान व्यक्तित्व में शामिल
एक साधारण व्यक्ति।

Language: Hindi
3 Likes · 5 Comments · 94 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
*चल रे साथी यू॰पी की सैर कर आयें*🍂
*चल रे साथी यू॰पी की सैर कर आयें*🍂
Dr. Vaishali Verma
प्रेम वो भाषा है
प्रेम वो भाषा है
Dheerja Sharma
मुझसे गलतियां हों तो अपना समझकर बता देना
मुझसे गलतियां हों तो अपना समझकर बता देना
Sonam Puneet Dubey
बुंदेली दोहा - सुड़ी
बुंदेली दोहा - सुड़ी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
स्त्री
स्त्री
Dr.Pratibha Prakash
!! सोपान !!
!! सोपान !!
Chunnu Lal Gupta
उसे लगता है कि
उसे लगता है कि
Keshav kishor Kumar
*जाने कब अब उन से  कुर्बत होगी*
*जाने कब अब उन से कुर्बत होगी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
घर की गृहलक्ष्मी जो गृहणी होती है,
घर की गृहलक्ष्मी जो गृहणी होती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
3285.*पूर्णिका*
3285.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल(गुलाबों से तितली करे प्यार छत पर —)————————–
ग़ज़ल(गुलाबों से तितली करे प्यार छत पर —)————————–
डॉक्टर रागिनी
मनाओ जश्न तुम मेरे दोस्तों
मनाओ जश्न तुम मेरे दोस्तों
gurudeenverma198
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
हो गया
हो गया
sushil sarna
ये काबा ये काशी हरम देखते हैं
ये काबा ये काशी हरम देखते हैं
Nazir Nazar
आ गया मौसम सुहाना
आ गया मौसम सुहाना
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
स्त्री नख से शिख तक सुन्दर होती है...
स्त्री नख से शिख तक सुन्दर होती है...
पूर्वार्थ
रात नहीं सपने बदलते हैं,
रात नहीं सपने बदलते हैं,
Ranjeet kumar patre
एक कुंडलिया
एक कुंडलिया
SHAMA PARVEEN
नज़र
नज़र
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
देवों की भूमि उत्तराखण्ड
देवों की भूमि उत्तराखण्ड
Ritu Asooja
जहां काम तहां नाम नहि, जहां नाम नहि काम ।
जहां काम तहां नाम नहि, जहां नाम नहि काम ।
Indu Singh
नहीं कहीं भी पढ़े लिखे, न व्यवहारिक ज्ञान
नहीं कहीं भी पढ़े लिखे, न व्यवहारिक ज्ञान
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
आजादी का जश्न मनायें
आजादी का जश्न मनायें
Pratibha Pandey
दिखा दो
दिखा दो
surenderpal vaidya
मै पूर्ण विवेक से कह सकता हूँ
मै पूर्ण विवेक से कह सकता हूँ
शेखर सिंह
माँ
माँ
Harminder Kaur
*जिंदगी से हर किसी को, ही असीमित प्यार है (हिंदी गजल)*
*जिंदगी से हर किसी को, ही असीमित प्यार है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
आस्था विश्वास पर ही, यह टिकी है दोस्ती।
आस्था विश्वास पर ही, यह टिकी है दोस्ती।
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
" वर्तमान "
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...