मां
जब आँखें खोलीं इस जहाँ में,
तेरा चेहरा नज़र आया।
जब पहला अक्षर मैंने बोला।,
तेरा रिश्ता जुबां पर आया।
तेरी अंगुली पकड़ कर, मैंने था सीखा चलना।
तेरे आंचल में मां सारे संसार को पाया।
अपने सपनों के अनुसार तुमने मुझको ढाला।
तेरी अंखियों में मुझे अपना ही साया नज़र आया।
भगवान् को देखने की तमन्ना नहीं मुझे,
उसके रूप में मां तुझको जो पाया।
कोमल
दिल्ली