Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Nov 2018 · 1 min read

मां

किसी की भी नजरों में
मां का प्यार नजर ही नहीं आता है
मां की लोरी सुनने वालो
मां का दर्द ए हाल नजर नहीं आता है
अपने आंसु बचा कर रखना
गमों का तूफान कहकर नहीं आता है
इतने कठोर मत बनो
गुजरा लम्हा लौट कर नहीं आता है
मां की तबियत का ख्याल रखना
मां का प्यार बार बार नसीब में नहीं आता है
आज जो तुम्हें मां का जरा भी
ख्याल नहीं आता है
तो फिर कल औलाद के सुख का
सपना तुम्हें भी क्यों आता है

एम के कागदाना

34 Likes · 89 Comments · 2382 Views

You may also like these posts

पास के लोगों की अहमियत का पता नहीं चलता
पास के लोगों की अहमियत का पता नहीं चलता
Ajit Kumar "Karn"
*याद रखें वह क्रूर परिस्थिति, जिस कारण पाकिस्तान बना (दो राध
*याद रखें वह क्रूर परिस्थिति, जिस कारण पाकिस्तान बना (दो राध
Ravi Prakash
अव्यक्त भाव को समझना ही अपनापन है और इस भावों को समझकर भी भु
अव्यक्त भाव को समझना ही अपनापन है और इस भावों को समझकर भी भु
Sanjay ' शून्य'
एक ऐसी रचना जो इस प्रकार है
एक ऐसी रचना जो इस प्रकार है
Rituraj shivem verma
It is that time in one's life,
It is that time in one's life,
पूर्वार्थ
ज़िंदगी के सफ़हात   ...
ज़िंदगी के सफ़हात ...
sushil sarna
खिड़की में भीगता मौसम
खिड़की में भीगता मौसम
Kanchan Advaita
4147.💐 *पूर्णिका* 💐
4147.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
आप कितने अपने हैं....
आप कितने अपने हैं....
TAMANNA BILASPURI
।। सुविचार ।।
।। सुविचार ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
पुस्तक समीक्षा-सपनों का शहर
पुस्तक समीक्षा-सपनों का शहर
गुमनाम 'बाबा'
Win79 được thiết kế để mang đến trải nghiệm giải trí tuyệt v
Win79 được thiết kế để mang đến trải nghiệm giải trí tuyệt v
win79funinfo
मित्रता
मित्रता
Dr.sima
सोचें सदा सकारात्मक
सोचें सदा सकारात्मक
महेश चन्द्र त्रिपाठी
सोरठा छंद
सोरठा छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
"रहमत"
Dr. Kishan tandon kranti
पार्थगाथा
पार्थगाथा
Vivek saswat Shukla
वो खुश है
वो खुश है
Suryakant Dwivedi
मात-पिता गुरु का ऋण बड़ा, जन्मों न चुक पाए
मात-पिता गुरु का ऋण बड़ा, जन्मों न चुक पाए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
गंगा- सेवा के दस दिन (नौंवां दिन)
गंगा- सेवा के दस दिन (नौंवां दिन)
Kaushal Kishor Bhatt
बेटी लक्ष्मी रूप है
बेटी लक्ष्मी रूप है
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
चौपाई छंद- राखी
चौपाई छंद- राखी
Sudhir srivastava
ग़ज़ल (चलो आ गयी हूँ मैं तुम को मनाने)
ग़ज़ल (चलो आ गयी हूँ मैं तुम को मनाने)
डॉक्टर रागिनी
अश्रु
अश्रु
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
सुप्रभात
सुप्रभात
*प्रणय*
एक एक ईट जोड़कर मजदूर घर बनाता है
एक एक ईट जोड़कर मजदूर घर बनाता है
प्रेमदास वसु सुरेखा
उम्मीद
उम्मीद
Dr fauzia Naseem shad
परिवर्तन आया जीवन में
परिवर्तन आया जीवन में
ललकार भारद्वाज
पंछियों का कलरव सुनाई ना देगा
पंछियों का कलरव सुनाई ना देगा
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
शुभांगी छंद
शुभांगी छंद
Rambali Mishra
Loading...