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19 Jan 2024 · 1 min read

सोरठा छंद

(सरस्वती वंदना )

माता तुझे प्रणाम,विद्या बुद्धि प्रदायिनी।

आऊँ जग के काम,दो मुझको वरदान यह।।1

है कंठ स्फटिक माल,वीणा पुस्तक कर गहे,

बैठी मंजु मराल,शुभ्र साटिका बदन पर।।2

करो समन्वित भाव,शब्द शक्तियों से विहित।

बहे ओज की नाव,गुण माधुर्य प्रसाद सँग।।3

वक्र उक्ति रस रीति,अलंकारमय छंद हो,

हो पिंगल से प्रीति,कृपा करो हे शारदे।।4

चमकें बन आदित्य,करें दूर तम धरणि का,

पढ़कर सत्साहित्य,रहें सभी जग प्यार से।।5
डाॅ बिपिन पाण्डेय

1 Like · 1 Comment · 79 Views
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