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30 May 2023 · 1 min read

मां मन वीणा झंकृत कर दे

मां मन बीणा झंकृत कर दे
उर का अंधकार हर ले,प्रेम प्रीत उर में भरदे
आ जाए वो नव विहान
दुनिया खुशियों से भरदे, मां मन वीणा झंकृत कर दे
हट जाए अज्ञान अंधेरा, नव प्रकाश उर में भर जाए
वहे ज्ञान की पावन गंगा, जन-जन को ऐसा वर दे
मां मन वीणा झंकृत कर दे
कहीं न हिंसा द्वेष रहे, सब वैर भाव मिट जाए
चले प्रेम की पवन सुहानी, धरती और अंबर भरदे
मां मन वीणा झंकृत कर दे
ना जाति धर्म के झगड़े हों, न अगड़े हों न पिछड़े हों
आ जाए समभाव जगत में, ऐसा वर हर मन को दे
मां मन वीणा झंकृत कर दे
हर ओर सुहाना मंजर हो, शांत धरा और अंबर हो
नहीं प्रदूषण फैले जग में,मन बुद्धि निर्मल कर दे निर्मल मन जन-जन को दे, मां मन वीणा झंकृत कर दे

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
1 Like · 213 Views
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