माँ
माँ
माँ के आंचल की छाँव नीलगगन तले मुझें यूँही मिलती रहें।
माँ का नाम लेते ही माँ का स्नेह मुझ पर यूँही बरसता रहें।।
जमीं से आसमाँ तक जब देखूं माँ की मूरत नैनों में मेरे झलकती रहें।
मेरी आँखे माँ के पल्लू के चिलमन से दुनियां के नजारे देखते रहें।।।
ग़लती करु हज़ार माँ मुझें प्यार से यूँही डांटती रहें।
मेरी प्यारी सी मुस्कान माँ को यूँही मोहित करती रहें।।
दुःखो के सागर से तैर कर माँ के हाथों की तट तक पहुंच जाऊ,
माँ मेरे सर पर अपनी ममता के हाथ फेरती रहे।।
मेरे पलकों पर सपने जब भी मैं सजाऊँ,
माँ मुस्कुराती आती हुई मुझे अपनी गोदी में उठाती झूमती रहें।।।।
दुनियां के सारे ग़मों से माँ मुझे निज़ात दिलाती यूँही रहे,
सोनू की हार्दिक मनोइच्छा माँ बस मेरे ही दिल के मकाँ में उम्रभर यूँही रहती रहें।।।
मैं तो चिड़िया हूँ माँ के आँगन की एक दिन उड़ जाऊंगी,
माँ बाबुल मुझे यूँही प्रेम से अपनी घर की बगियाँ में बुलाते रहें।।
I love my mother and father??❣❣❤❤❤❤❤❤
रचनाकार गायत्री सोनू जैन मंदसौर
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