माँ
तेरी कोख से ही तो मेरी माँ,
मेरे जीवन का आरम्भ हुआ।
तुझसे मेरा अस्तित्व बना,
संसार मेरा प्रारम्भ हुआ।।
अस्तित्व विहीन मैं तेरे बिन,
स्नेहिल सा हृदय उदार बनी।
तू अद्भुत प्रेम का सार बनी
माँ तुम ही मेरा संसार बनी।।
माँ तुमसे मिली सुन्दर काया,
इस जीवन का शुभारंभ हुआ।
तुझसे मेरा अस्तित्व बना,
संसार मेरा प्रारम्भ हुआ।।
तेरी प्रार्थना और पूजा ने माँ,
अच्छा इंसान बनाया है।
सद्भाव प्रेम से गढ़ा मुझे,
मन में अपना न पराया है।।
तेरे गुण से माँ मैं बनी गुणी,
मन में न कभी कोई दम्भ हुआ।
तुझसे मेरा अस्तित्व बना,
संसार मेरा प्रारम्भ हुआ।।
बचपन से मेरी सफलता में,
तेरा ही तो माँ हाथ रहा।
तुम ही हो प्रेरणाशक्ति मेरी,
और प्रतिपल तेरा साथ रहा।।
चट्टानों सी तू खड़ी सदा,
तेरा साथ सदा स्तम्भ हुआ।
तुझसे मेरा अस्तित्व बना,
संसार मेरा प्रारम्भ हुआ।।
अक्षर से ज्ञान अनन्त दिया,
और खूब दिया माँ संस्कार।
स्नेहिल सा सुन्दर हृदय दिया,
जिसमें है भरा अनन्त प्यार।।
जीवन पथ पर तेरे सदृश,
माँ कोई नही मेरा रम्भ हुआ।
तुझसे मेरा अस्तित्व बना,
संसार मेरा प्रारम्भ हुआ।।
आत्मविश्वास की ज्योति से,
मेरे जीवन को जगमगाया है।
कैसी भी विषम परिस्थिति हो,
लड़ना मुझको सिखलाया है।।
तेरे आँचल में बचपन बीता,
तेरे समक्ष यौवनारम्भ हुआ।
तुझसे मेरा अस्तित्व बना,
संसार मेरा प्रारम्भ हुआ।।
तुझसे कुछ भी छिपता ही नही,
मेरी बेचैनी या परेशानी।
बस तू ही एक समझती है,
अपनी बिटिया की नादानी।।
मेरे मन को सदा पढ़ लेती है,
मुझको भी बड़ा अचम्भ हुआ।
तुझसे मेरा अस्तित्व बना,
संसार मेरा प्रारम्भ हुआ।।
जीवन की हर परिस्थिति में,
माँ बनी रही मेरी परछाईं।
दृढ़ इच्छाशक्ति निरन्तर माँ,
मेरी रगों में तू भरती आई।
तुझसे है मिली माँ आत्मशक्ति,
न कभी कोई प्रतिष्टम्भ हुआ।
तुझसे मेरा अस्तित्व बना,
संसार मेरा प्रारम्भ हुआ।।
हे जीवनदायिनी, मातृ शक्ति,
माँ दुँ मैं क्या उपहार तुझे।
मेरा जीवन सदा समर्पित है,
तुझसे ही मिला संसार मुझे।।
हे प्रेरणादायिनी, ममता मूर्ति,
जीवन ये प्रकाशस्तम्भ हुआ।
तुझसे मेरा अस्तित्व बना,
संसार मेरा प्रारम्भ हुआ।।
@स्वरचित व मौलिक
शालिनी राय ‘डिम्पल’🖊️