माँ
मां –
जीवन तेरा ही दिया माँ तेरे बिना जीवन व्यर्थ है माँ ।।
जब आया तेरी कोख में कितने ही दुःख पीड़ा हंस हंस कर सह गई दुनियां से मेरे आने कि खुशियां ही कहती रही मां।।
आंख खुली सृष्टि में देखा तुझको पुकारा तुझ्रे ही माँ ।।
तूने ही अभिमान से दुनियां को बतलाया मैं तेरा लाडला तू ही जननी मेरी माँ।।
सूखता गला भूख से व्यकुल तेरे दूध से भय भूख मिटी माँ तेरे ही ममता कि छाया कवच मेरा माँ ।।
किसी भी आफत जोखिम भयानक से रखती सुरक्षित मेरी माँ ।।
काल से भी लड़ जाती उसको भी है बताती तेरी क्या विसात ?मेरी मां कहती देवों की भी मैं जननी जग जानती हूँ मैं माँ ।।
जिससे है तेरी शक्ति काल तू मान तुझको भी पालती है तेरी माँ ।।
माँ कि ममता से मत कर संग्राम हाथ दो चार मिट जाएगी तेरी हस्ती बन जायेगा परिहास।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखुर उत्तर प्रदेश।।