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14 May 2023 · 1 min read

माँ

अंधेरी ज़िन्दगी का मेरी……… बस वही उजाला है ।
माँ की दुआओं ने हर दफ़ा मुश्किलों से निकाला है ।।

जब भी गिरता हूं, लड़खड़ाता हूं दुनियावी सफ़र में ।
हौसलों को मेरे …………… बस माँ ने संभाला है ।।

बेस्वाद सारी नेमतें….. दुनिया की लगती है मुझको ।
लज़्ज़तदार उसके हाथ का……एक एक निवाला है ।।

उसके बिना ज़िन्दगी-…………….. बेनूर, बेरंग मेरी ।
अपनी हर सांस को,………… उसके रंग में ढाला है ।।

©डॉ वासिफ काज़ी, इंदौर
©काज़ी की कलम

Language: Hindi
253 Views
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