माँ
वो शब्द कहाँ से लाऊं, तेरी महिमा जो सुनाऊ |
तू शब्दों से परे है माँ, क्या तुझ पर लिख पाउँ ||
मेरा वजूद तुझसे माँ,तुझमे छुपी है मेरी कहानी|
तू जन्म मुझें देने वाली, क्या तुझपे मैं सुनाऊँ ||
तेरा ऋणी हूँ और इस भारत माँ का भी ऋणी |
मेरी कामयाबी तुझसे,तेरा ऋण ना चुका पाऊँ ||
मंदिरो में भी माँ बस तुम,मुझें तुम नजर आओ|
नजर देदो वो मुझको, हर माँ में तुझे ही पाऊँ ||
देखूँ जो कोई गरीब माँ, सडक पर यूं बैठी हुई |
देख के तेरी सूरत उसमे,बेटे का फ़र्ज निभाऊ ||
जो धरती माँ पर कोई, दुश्मन देश नजर उठाये |
वीर पुत्र बनाना माँ, दुश्मन के छक्के छुड़ाऊँ ||
कहीं अगर जो देखूँ, कोई बहन बेटी मुसीबत में
देना मुझे वो ताकत अस्मत उसकी मैं बचाऊं |
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रीता सिंह
बेंगलुरु
कर्नाटक