माँ
माँ तू है ईश्वर का स्वरूप
तेरा देना कैसे दे सकता हूँ मैं
माँ को जो एक ही दिन देते हैं
स्वार्थी लोग कह सकता हूँ मैं
एक ही दिन तेरा…बाक़ी दिन मेरे
यह पीड़ा कैसे सह सकता हूँ मैं
मदरज़ डे एक ही दिन रखा है
तेरा क़र्ज़ कैसे लौटा सकता हूँ मैं
हर साँस-२ पे हक़ है तेरा
रोज़ मदरज़ डे समझ सकता हूँ मैं
माँ तू है ईश्वर का स्वरूप
तेरा देना कैसे दे सकता हूँ मैं
माँ को जो एक ही दिन देते हैं
स्वार्थी लोग कह सकता हूँ मैं
माँ…तेरा क़र्ज़ कैसे दे सकता हूँ मैं
….तेरा क़र्ज़ कैसे लौटा सकता हूँ मैं
-डा. राजेश्वर सिंह
(कपूरथला)