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13 Nov 2018 · 1 min read

माँ का आँचल

? माँ का आँचल?

माँ के आँचल से छोटी धरती,
नहीं माँ से ऊँचा आकाश है ।
ममता की बहती सरिता माँ,
नहीं चाँद में वो प्रकाश हैं ।।

निस्वार्थ माँ का प्यार यहाँ,
बाकि सब रिश्ते झूठे हैं ।
इंसान नहीं हैवान हैं वो,
जो माँ से भी कभी रूठे है ।।

वो त्याग और ममता की देवी,
क्यों पत्थर को पूजन जाते हो।
माँ के चरणों में मिले शांति,
क्यों मंदिरों में वक़्त गवाते हो ।।

माँ ही मन्दिर माँ ही पूजा,
भाई माँ ही चारों धाम है ।
माँ के कदमो में मेरा स्वर्ग,
माँ ही मेरा धर्म ईमान हैं ।।

माँ अमृत का बहता झरना हैं,
वो पेड़ की शीतल छाया हैं ।
एक माँ का सच्चा प्यार यहां,
बाकि सब तो मोह माया हैं ।।

✍जगदीश गुलिया
☎ 09999918920
नजफगढ़ (दिल्ली)

6 Likes · 30 Comments · 995 Views
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