Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Nov 2018 · 1 min read

माँ !! ( एक फ़रियाद )

माँ !!
(एक फ़रियाद)

रात का सन्नाटा देख मुझे कूड़े में क्यों फ़ेंक दिया?
अपने ही ख़ून को यूँ आसानी से क्यों छोड़ दिया?
जन्म तो सही से मुझे लेने दिया होता न, माँ !
वक़्त से पहले क्यों मेरा गला घोंट दिया माँ?

बेटी नाम से थी तुम्हें जब इतनी ही ज़्यादा नफ़रत,
तो फिर माँ आज तू कैसे है ज़िंदा सही सलामत?
बेटी ही तो बहन,बीवी और माता बनती है न, माँ !
वक़्त से पहले क्यों मेरा गला घोंट दिया माँ?

बड़ी हसरत थी जग में आ कर नाम कमाने की,
इंद्रा, लक्ष्मी बाई, कल्पना, किरण, मीरा बन जाने की,
आँखें तो खोल ही नहीं पायी इस जगत में, माँ !
वक़्त से पहले क्यों मेरा गला घोंट दिया माँ?

अब बेहतर लगते हैं पशु-पक्षी प्राणी काफी इंसान से,
काश ख़ुदा ने मुझे पैदा किया होता उनके घर शान से,
फ़ख्र से कहती ख़ुद को जानवर की बेटी, माँ !
वक़्त से पहले क्यों मेरा गला घोंट दिया माँ?

जब जाऊंगी ख़ुदा से मिलने फ़रियाद लिए हांथों में,
गिड़गिड़ाऊंगी- न दूसरा जन्म देना अब इंसानो में,
मेरी इस बात का बिलकुल बुरा न मानना, माँ !
वक़्त से पहले क्यों मेरा गला घोंट दिया माँ?

… मो• एहतेशाम अहमद
आंडाल, पश्चिम बर्दवान (पश्चिम बंगाल)
संपर्क करें- 9378306061

24 Likes · 76 Comments · 913 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ahtesham Ahmad
View all
You may also like:
हमें दुख देकर खुश हुए थे आप
हमें दुख देकर खुश हुए थे आप
ruby kumari
दौड़ते ही जा रहे सब हर तरफ
दौड़ते ही जा रहे सब हर तरफ
Dhirendra Singh
हमारी सम्पूर्ण ज़िंदगी एक संघर्ष होती है, जिसमे क़दम-क़दम पर
हमारी सम्पूर्ण ज़िंदगी एक संघर्ष होती है, जिसमे क़दम-क़दम पर
SPK Sachin Lodhi
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
पापा गये कहाँ तुम ?
पापा गये कहाँ तुम ?
Surya Barman
संस्कृतियों का समागम
संस्कृतियों का समागम
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
फूल
फूल
Neeraj Agarwal
*
*"हिंदी"*
Shashi kala vyas
मुद्दतों बाद फिर खुद से हुई है, मोहब्बत मुझे।
मुद्दतों बाद फिर खुद से हुई है, मोहब्बत मुझे।
Manisha Manjari
क्रोध
क्रोध
ओंकार मिश्र
मंज़र
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
3384⚘ *पूर्णिका* ⚘
3384⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
गीत-14-15
गीत-14-15
Dr. Sunita Singh
जीवन बरगद कीजिए
जीवन बरगद कीजिए
Mahendra Narayan
तुम वोट अपना मत बेच देना
तुम वोट अपना मत बेच देना
gurudeenverma198
नदी की बूंद
नदी की बूंद
Sanjay ' शून्य'
अब तो इस वुज़ूद से नफ़रत होने लगी मुझे।
अब तो इस वुज़ूद से नफ़रत होने लगी मुझे।
Phool gufran
*जब तू रूठ जाता है*
*जब तू रूठ जाता है*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
हर सांझ तुम्हारे आने की आहट सुना करता था
हर सांझ तुम्हारे आने की आहट सुना करता था
Er. Sanjay Shrivastava
हर फ़साद की जड़
हर फ़साद की जड़
*Author प्रणय प्रभात*
माॅर्डन आशिक
माॅर्डन आशिक
Kanchan Khanna
चेहरे क्रीम पाउडर से नहीं, बल्कि काबिलियत से चमकते है ।
चेहरे क्रीम पाउडर से नहीं, बल्कि काबिलियत से चमकते है ।
Ranjeet kumar patre
प्यार टूटे तो टूटने दो ,बस हौंसला नहीं टूटना चाहिए
प्यार टूटे तो टूटने दो ,बस हौंसला नहीं टूटना चाहिए
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
*नदारद शब्दकोषों से, हुआ ज्यों शब्द सेवा है (मुक्तक)*
*नदारद शब्दकोषों से, हुआ ज्यों शब्द सेवा है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
💐प्रेम कौतुक-335💐
💐प्रेम कौतुक-335💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
"स्वर्ग-नरक की खोज"
Dr. Kishan tandon kranti
*मेरी इच्छा*
*मेरी इच्छा*
Dushyant Kumar
बस कट, पेस्ट का खेल
बस कट, पेस्ट का खेल
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
चार दिनों की जिंदगी है, यूँ हीं गुज़र के रह जानी है...!!
चार दिनों की जिंदगी है, यूँ हीं गुज़र के रह जानी है...!!
Ravi Betulwala
आप में आपका
आप में आपका
Dr fauzia Naseem shad
Loading...