तुम वोट अपना मत बेच देना
(शेर)- आजादी के बाद के 70 वर्षों का विकास, आगे भी जारी रहे।
हमारा यह लोकतंत्र, संविधान, और देश हमारा सदा जिन्दा रहे।।
सवाल है देश की सुरक्षा – प्रगति, और देश की शान- स्वाभिमान का।
हम अपना वोट उसको ही दे, जिससे हर जाति – धर्म आबाद रहे।।
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अनमोल बहुत है वोट तुम्हारा, तुम वोट अपना मत बेच देना।
करें जो हमेशा तुम्हारी भलाई, तुम वोट अपना उसको ही देना।।
अनमोल बहुत है वोट तुम्हारा—————–।।
बनकर पिछलग्गू और अंधभक्त, तुम साथ उसके चलो नहीं।
अपना दिमाग काम लो तुम, किसी के दबाव में बोलो नहीं।।
झूठे सपनें और मदिरा के मद में,तुम वोट किसी को देना नहीं।
करें जो हमेशा तुम्हारी भलाई, तुम वोट अपना उसको ही देना।।
अनमोल बहुत है वोट तुम्हारा—————।।
जिन्दा हमेशा रहे देश में, यह लोकतंत्र और संविधान।
जाति- धर्म के भेदभाव के बिना, सबको मिले यहाँ सम्मान।।
कराये जो दंगें जाति- धर्मों में, तुम वोट कभी भी उसको मत देना।
करें जो हमेशा तुम्हारी भलाई, तुम वोट अपना उसको ही देना।।
अनमोल बहुत है वोट तुम्हारा—————–।।
जो देश अपना बेचे नहीं, व्यभिचारी-भ्रष्ट – खूनी नहीं हो।
करें दूर गरीबी- बेरोजगारी, कर्मचारी विरोधी वह नहीं हो।।
तुम्हारे बुढ़ापे को जो दे सुरक्षा, वोट और सम्मान उसको ही देना।
करें जो हमेशा तुम्हारी भलाई, तुम वोट अपना उसको ही देना।।
अनमोल बहुत है वोट तुम्हारा—————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)