महान अभिनेता राजकपूर
वक्त यादों को धुंधलाता है,
लेकिन कर्म फिर याद दिलाता है।
मशहूर अभिनेता देवानंद द्वारा फिल्मी दुनिया के ‘कम्प्लीट शोमैन’ कहे जाने वाले राजकपूर आज जीवित होते तो 14 दिसम्बर 2024 को पूरे सौ साल के हो गए होते। बरसों पहले कवि शैलेन्द्र ने उनकी फिल्म “श्री-420” के लिए यह गीत लिखा था- “हम न रहेंगे, तुम न रहोगे, फिर भी रहेंगी निशानियाँ” तब किसे पता था कि ये पंक्तियाँ उनको एक नई सदी में लेकर जाएंगी।
24 साल की उम्र में फिल्मी दुनिया में कदम रखने वाले राजकपूर की फिल्में और उसके तराने आज भी हर किसी को जिन्दगी से रु-ब-रु कराते हैं। राजकपूर ने अपने जीवनकाल में कुल 10 फिल्मों का निर्देशन किया था।
फ़िल्म इतिहासकार एस.एम.एम. औसजा के मुताबिक राजकपूर की फिल्में पुरानी शराब की तरह है। उनकी फिल्मों में जमाने के लिए सन्देश होता था। साथ ही सामाजिक मुद्दों को सही ढंग से उठाया जाता था। यही वजह है कि उनकी फिल्में भारत के बाहर भी मशहूर थीं, खासकर रूस में। उनकी फिल्में ज्यादातर नायिका प्रधान हुआ करती थी।
फ़िल्म समीक्षक अमित गंगर का मानना है कि राजकपूर ने भारतीय सिनेमा के इतिहास की नसों में आधुनिकता वादी लोकाचार डाला। यही उनकी फिल्मों की प्रासंगिकता बनाए रखा। राजकपूर में लय और संगीत की अद्भुत समझ थी। यही वजह है कि उनकी फिल्में सदाबहार रही।
वास्तव में वो दौर राजकपूर का था। मुझे याद आता है कि राजकपूर नाम लोगों के सिर चढ़कर बोलता था। उस दौर में बहुतायत में लोगों ने अपने घर -परिवार में पैदा होने वाले बॉय चाइल्ड का नाम ‘राजकपूर’ रखा। यह राजकपूर की लोकप्रियता का प्रमाण है।
बेशक राजकपूर की फिल्मों में कला और दर्शन का अद्भुत संगम था। वे समाज की सच्चाइयों को इस तरह दिखाए कि आम जनता उससे गहराई तक जुड़ते गए। बूट पोलिस और श्री-420 जैसी फिल्मों में आम लोगों के संघर्ष और मानवता की भावना को प्रस्तुत किए। वहीं संगम, बॉबी, सत्यम शिवम सुन्दरम, राम तेरी गंगा मैली जैसी फिल्मों में प्रेम और सौन्दर्य की भावनाएँ अभिव्यक्त हुईं।
आज के युवा राजकपूर को रणबीर कपूर, करिश्मा तथा करीना के दादा जी, बुजुर्ग लोग ऋषि कपूर के पिताजी और कुछ लोग उन्हें महान अभिनेता पृथ्वीराज कपूर के बेटे के रूप में भी जानते हैं। बावजूद राजकपूर ने अपने दमदार कैरियर की बदौलत अपनी एक अलग पहचान बनाई है। अभिनेता रणबीर कपूर ने अपने दादा की 100वीं जयन्ती 14 दिसम्बर से पूरे भारत वर्ष में फ़िल्म महोत्सव आयोजित करने का ऐलान किया है। वास्तव में ऐसा कदम महान अभिनेता राजकपूर के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
राजकपूर को शत शत नमन्…🎂💐👍
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।