Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Mar 2024 · 1 min read

*मस्ती बसती है वहॉं, मन बालक का रूप (कुंडलिया)*

मस्ती बसती है वहॉं, मन बालक का रूप (कुंडलिया)
_________________________
मस्ती बसती है वहॉं, मन बालक का रूप
जिसे न कोई चाह है, समझो उसको भूप
समझो उसको भूप, खुशी भीतर से पाता
जो मिलता परिवेश, मगन उसमें हो जाता
कहते रवि कविराय, महक मन की अति सस्ती
बिना खर्च का खेल, मिली निश्छल को मस्ती
—————————————-
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

103 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
# विचार
# विचार
DrLakshman Jha Parimal
--बेजुबान का दर्द --
--बेजुबान का दर्द --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
गुमाँ हैं हमको हम बंदर से इंसाँ बन चुके हैं पर
गुमाँ हैं हमको हम बंदर से इंसाँ बन चुके हैं पर
Johnny Ahmed 'क़ैस'
🍁🍁तेरे मेरे सन्देश- 5🍁🍁
🍁🍁तेरे मेरे सन्देश- 5🍁🍁
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मेरे मरने के बाद
मेरे मरने के बाद
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन
Shyam Sundar Subramanian
मिथ्या इस  संसार में,  अर्थहीन  सम्बंध।
मिथ्या इस संसार में, अर्थहीन सम्बंध।
sushil sarna
ऋषि मगस्तय और थार का रेगिस्तान (पौराणिक कहानी)
ऋषि मगस्तय और थार का रेगिस्तान (पौराणिक कहानी)
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
उसकी हिम्मत की दाद दी जाए
उसकी हिम्मत की दाद दी जाए
Neeraj Naveed
तुमने मुझको कुछ ना समझा
तुमने मुझको कुछ ना समझा
Suryakant Dwivedi
*आज छठी की छटा निराली (गीत)*
*आज छठी की छटा निराली (गीत)*
Ravi Prakash
"हिन्दी और नारी"
Dr. Kishan tandon kranti
ମଣିଷ ଠାରୁ ଅଧିକ
ମଣିଷ ଠାରୁ ଅଧିକ
Otteri Selvakumar
आती है जाती है , दिल को भी लुभाती है ,
आती है जाती है , दिल को भी लुभाती है ,
Neelofar Khan
भोले
भोले
manjula chauhan
2724.*पूर्णिका*
2724.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तूं ऐसे बर्ताव करोगी यें आशा न थी
तूं ऐसे बर्ताव करोगी यें आशा न थी
Keshav kishor Kumar
They say,
They say, "Being in a relationship distracts you from your c
पूर्वार्थ
बद्रीनाथ के पुजारी क्यों बनाते हैं स्त्री का वेश
बद्रीनाथ के पुजारी क्यों बनाते हैं स्त्री का वेश
Rakshita Bora
मैं नास्तिक क्यों हूॅं!
मैं नास्तिक क्यों हूॅं!
Harminder Kaur
उफ़ ये बेटियाँ
उफ़ ये बेटियाँ
SHAMA PARVEEN
खरीद लूंगा तुझे तेरे नखरों सहित ऐ जिन्दगी
खरीद लूंगा तुझे तेरे नखरों सहित ऐ जिन्दगी
Ranjeet kumar patre
जिन्हें देखना कभी जुनून था,
जिन्हें देखना कभी जुनून था,
हिमांशु Kulshrestha
कहने से हो जाता विकास, हाल यह अब नहीं होता
कहने से हो जाता विकास, हाल यह अब नहीं होता
gurudeenverma198
चलो दो हाथ एक कर ले
चलो दो हाथ एक कर ले
Sûrëkhâ
साहित्यिक आलेख - पुस्तक विमर्श - मैला आँचल
साहित्यिक आलेख - पुस्तक विमर्श - मैला आँचल
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
आज के युग में कल की बात
आज के युग में कल की बात
Rituraj shivem verma
वक्त जब उचित न हो तो , वक्त के अनुरूप चलना ही उचित होता है,
वक्त जब उचित न हो तो , वक्त के अनुरूप चलना ही उचित होता है,
Sakshi Singh
एक
एक
*प्रणय प्रभात*
समय बदलता तो हैं,पर थोड़ी देर से.
समय बदलता तो हैं,पर थोड़ी देर से.
Piyush Goel
Loading...