Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 May 2024 · 1 min read

घना शोर था

नियत में खोट नहीं था,
पर,बातों में बोझ था।
रिश्तों में छल भी नहीं था,
सहमति में विरोध था।
कुछ प्रश्न का हल नहीं था,
पर,लफ़्ज़ों में गर्व बोल रहा था।
बिन बात की नफरत में बल नहीं था,
अहसास का अभी भी मोल था।
दोस्ती में अब कुछ हलचल नहीं था,
उर में आज भी नेह का घोल था।
अनुराग-आंनद का मेलजोल नहीं था,
शिकवे शिकायत का बोला-बोल था।
उस राह से गुजरने का टैक्स टोल नही था,
आते की कई बिछड़ी राह उदासी का रोल था।
वाहन,चुप्पी में भी घना शोर था।
– सीमा गुप्ता अलवर राजस्थान

3 Likes · 61 Views

You may also like these posts

मन का न हुआ
मन का न हुआ
Ritesh Deo
रागी के दोहे
रागी के दोहे
राधेश्याम "रागी"
दोस्ती सारा जहान
दोस्ती सारा जहान
Rekha khichi
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
आकर्षण गति पकड़ता है और क्षण भर ठहरता है
आकर्षण गति पकड़ता है और क्षण भर ठहरता है
शेखर सिंह
निश्चित जो संसार में,
निश्चित जो संसार में,
sushil sarna
प्रेमिका से
प्रेमिका से
Shekhar Chandra Mitra
शुभकामना संदेश.....
शुभकामना संदेश.....
Awadhesh Kumar Singh
बलिदानियों की ज्योति पर जाकर चढ़ाऊँ फूल मैं।
बलिदानियों की ज्योति पर जाकर चढ़ाऊँ फूल मैं।
जगदीश शर्मा सहज
रंग तिरंगे के छाएं
रंग तिरंगे के छाएं
श्रीकृष्ण शुक्ल
रोक लें महाभारत
रोक लें महाभारत
आशा शैली
क्या बिगाड़ लेगा कोई हमारा
क्या बिगाड़ लेगा कोई हमारा
VINOD CHAUHAN
वह नारी
वह नारी
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
नव वर्ष आया हैं , सुख-समृद्धि लाया हैं
नव वर्ष आया हैं , सुख-समृद्धि लाया हैं
Raju Gajbhiye
रात रात भर रजनी (बंगाल पर गीत)
रात रात भर रजनी (बंगाल पर गीत)
Suryakant Dwivedi
मुस्कुराता बहुत हूं।
मुस्कुराता बहुत हूं।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
बेचैन स्मृतियां
बेचैन स्मृतियां
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
बस इतना ही फर्क रहा लड़के और लड़कियों में, कि लड़कों ने अपनी
बस इतना ही फर्क रहा लड़के और लड़कियों में, कि लड़कों ने अपनी
पूर्वार्थ
"जियो जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
जब मुझको कुछ कहना होता अंतर्मन से कह लेती हूं ,
जब मुझको कुछ कहना होता अंतर्मन से कह लेती हूं ,
Anamika Tiwari 'annpurna '
नर्स और अध्यापक
नर्स और अध्यापक
bhandari lokesh
*सज्जन (अमृतध्वनि छंद )*
*सज्जन (अमृतध्वनि छंद )*
Rambali Mishra
हक़ीक़त से वाक़िफ़
हक़ीक़त से वाक़िफ़
Dr fauzia Naseem shad
जिस्म का खून करे जो उस को तो क़ातिल कहते है
जिस्म का खून करे जो उस को तो क़ातिल कहते है
shabina. Naaz
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
गीतिका
गीतिका
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
।।
।।
*प्रणय*
चेहरा देख के नहीं स्वभाव देख कर हमसफर बनाना चाहिए क्योंकि चे
चेहरा देख के नहीं स्वभाव देख कर हमसफर बनाना चाहिए क्योंकि चे
Ranjeet kumar patre
न रोको तुम किसी को भी....
न रोको तुम किसी को भी....
डॉ.सीमा अग्रवाल
3042.*पूर्णिका*
3042.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...