मरना बड़ी बात नही जीना बड़ी बात है….
मरना बड़ी बात नही जीना बड़ी बात है….
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मरना बड़ी बात नहीं, जीना बड़ी बात है,
हमें तकलीफ़ देने वाले कोई और नहीं, हमारे ही ज़ज़्बात है|
लोग ठहराते हैं अक्सर कुसूरवार हमीं को,
समझते नहीं ,वक़्त के आगे हमारी तुम्हारी क्या बिसात है|
हमारी ही जिंदगी, हमारी वसीयत नहीं रह जाती,
बस अदना सा किरदार और इतनी सी हमारी औक़ात है|
उसके रंगमंच के पात्र हैं सीरत निभाये जातें हैं ,
करम करते हैं लेकिन “उसके” पास लेखा- जोख़ा, काग़जात है|
कहीं बेशुमार खुशी, कहीं बेहिसाब तकलीफ़ें,
परवरदिगार ही जाने….! कैसे-कैसे करते रहते, करामात है|
ताना बाना सी उलझी डोर उलझती जाती है,
कोई हल नही, हज़ार प्रश्नचिन्ह है ??? हज़ार सवालात् है|