– मन की अभिलाषा –
– मन की अभिलाषा –
मेरे मन की अभिलाषा की पूरा परिवार साथ रहे,
भले रहे वे अलग -अलग पर सुख दुःख में सदा साथ रहे,
न हो किसी में कोई द्वेष भावना,
न संपति को लेकर विवाद हो,
न ही भाईयो में कोई वाद विवाद हो,
बना रहे भाईयो में प्रेम राम लखन सा,
भाभीया भी दे अपने देवर को पुत्र सा प्यार,
देवर लक्ष्मण जैसे हो,
भाभी मां के चरणों में अपना मस्तक जान,
ऐसी गहलोत के मन की अभिलाषा,
भरत तु इसको पहचान,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान