“मत भूलो”
ये मत भूलो
जिन्दगी तो आखिर जिन्दगी है
जो भेदभाव किये बिना
हर किसी के संग चलती है
नर हो या नारी
उसे भला क्या वास्ता,
तय है सबके लिए
उसका एक निश्चित रास्ता
जिसके होते ना हिसाब
और कोई अनुमान नहीं,
नर हो या नारी
किसी की भी जिन्दगी आसान नहीं।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त 2022-23