Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Aug 2023 · 1 min read

“मतलब”

पक्ष और विपक्ष
दिखते नहीं
कोई भी निष्पक्ष।

अपनी ही आहट से
ये चौंकते हैं,
एक जानकर बोला-
निश्चिन्त रहिए आप
ये काटते नहीं
सिर्फ भौंकते हैं।

मैंने उनसे पूछा
आखिर क्यों?
वो सज्जन बोला
वे दोनों हैं
ज्यों के त्यों।

उन दोनों को
एक ही चीज की
बड़ी तलब है,
‘लोक’ जाए भाड़ में
सिर्फ ‘तंत्र’ से मतलब है।

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
बेस्ट पोएट ऑफ दी ईयर-2023
भारत के 100 महान व्यक्तित्व में शामिल
एक साधारण व्यक्ति।

8 Likes · 5 Comments · 124 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
गिरें पत्तों की परवाह कौन करें
गिरें पत्तों की परवाह कौन करें
Keshav kishor Kumar
जिन्दगी सदैव खुली किताब की तरह रखें, जिसमें भावनाएं संवेदनशी
जिन्दगी सदैव खुली किताब की तरह रखें, जिसमें भावनाएं संवेदनशी
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
आपकी आत्मचेतना और आत्मविश्वास ही आपको सबसे अधिक प्रेरित करने
आपकी आत्मचेतना और आत्मविश्वास ही आपको सबसे अधिक प्रेरित करने
Neelam Sharma
टूटने का मर्म
टूटने का मर्म
Surinder blackpen
जीवन रंगों से रंगा रहे
जीवन रंगों से रंगा रहे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"पँछियोँ मेँ भी, अमिट है प्यार..!"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
गुलामी की ट्रेनिंग
गुलामी की ट्रेनिंग
Shekhar Chandra Mitra
*टैगोर काव्य गोष्ठी/ संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ* आज दिनांक 1
*टैगोर काव्य गोष्ठी/ संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ* आज दिनांक 1
Ravi Prakash
नज़ारे स्वर्ग के लगते हैं
नज़ारे स्वर्ग के लगते हैं
Neeraj Agarwal
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हिन्दी दोहा -स्वागत 1-2
हिन्दी दोहा -स्वागत 1-2
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
Don't get hung up
Don't get hung up
पूर्वार्थ
◆धर्म-गीत
◆धर्म-गीत
*Author प्रणय प्रभात*
दुख के दो अर्थ हो सकते हैं
दुख के दो अर्थ हो सकते हैं
Harminder Kaur
💐प्रेम कौतुक-289💐
💐प्रेम कौतुक-289💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
राम के नाम को यूं ही सुरमन करें
राम के नाम को यूं ही सुरमन करें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
डोमिन ।
डोमिन ।
Acharya Rama Nand Mandal
फितरत से बहुत दूर
फितरत से बहुत दूर
Satish Srijan
इश्क़ का दस्तूर
इश्क़ का दस्तूर
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
दर्द -ऐ सर हुआ सब कुछ भुलाकर आये है ।
दर्द -ऐ सर हुआ सब कुछ भुलाकर आये है ।
Phool gufran
दोहा-
दोहा-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
एक अकेला रिश्ता
एक अकेला रिश्ता
विजय कुमार अग्रवाल
पता पुष्प का दे रहे,
पता पुष्प का दे रहे,
sushil sarna
3288.*पूर्णिका*
3288.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*
*"माँ"*
Shashi kala vyas
एक नया अध्याय लिखूं
एक नया अध्याय लिखूं
Dr.Pratibha Prakash
"आज का दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
जो लोग बिछड़ कर भी नहीं बिछड़ते,
जो लोग बिछड़ कर भी नहीं बिछड़ते,
शोभा कुमारी
हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
किन्नर-व्यथा ...
किन्नर-व्यथा ...
डॉ.सीमा अग्रवाल
Loading...