Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Aug 2023 · 1 min read

मणिपुर घटना पर रचना

मणिपुर घटना पर
रचना
——————–
मणिपुर घटना से, हृदय छलनी हुआ,
ऐसा विकराल रूप देख मानव का
देश शर्मसार हुआ?
ऐसे पुरुष जाति पर धिक्कार है,
नारी को देखें जो बुरी नजरों से –
चीर हरण करते उसका ,जो जन्म
दात्री नारी है!
वर्षों पहले चीर द्रोपदी का हरा था,
इज्जत तार -तार हुई इक नारी की–
भरी सभा में दुशासन,बाल घसीट लाया था?
सुनों बेटियों तुम शस्त्र उठा लो,
तुमको कोई नहीं बचाएगा।
तुम ही काली, चण्डी बन जाओ,
कोई हैवान तुमको, फिर न छू पाएगा?

ऐसे असुरों का तुमको,मर्दन करना होगा-
अपनी रक्षा खुद करके तुमको —
रणचंडी, शक्ति स्वरूपा नारी
बनना होगा?
तुम्हारी भी मां,बहन, बेटी होंगी,
फिर क्यों ! नहीं कांपे तुम्हारे हाथ।
एक पल को ध्यान नहीं, मेरी भी मां,
बहनें हैं—
फिर भी ऐसा घृणित कृत्य किया
बेटियों के साथ?
हवाएं भी रोई, बेटियों के क्रंदन से,
उनकी चीख पुकार से,वृक्ष,पुष्प
भी रोए हैं।
मानव का ऐसा वीभत्स रूप देखकर —
जगत के पालनहार भी रोए हैं?

लेकिन!अब बहुत अत्याचार हुआ,
अब और सहन नहीं होगा।
किसी नारी पर , बुरी नजर रखने वाले –
सबक सिखाने के लिए,उसका सर
कलम करना होगा।
फिर कोई ऐसी धृष्टता न करे,
कभी किसी बेटियों पर।
मानव को ऐसे घृणित कृत्यों की —
कठोर से कठोर सजा मिले धरा पर?

सुषमा सिंह*उर्मि,,

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 72 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Sushma Singh
View all
You may also like:
"जरा देख"
Dr. Kishan tandon kranti
एक सत्य यह भी
एक सत्य यह भी
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
*रोज बदलते अफसर-नेता, पद-पदवी-सरकार (गीत)*
*रोज बदलते अफसर-नेता, पद-पदवी-सरकार (गीत)*
Ravi Prakash
शीर्षक - स्वप्न
शीर्षक - स्वप्न
Neeraj Agarwal
।। परिधि में रहे......।।
।। परिधि में रहे......।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
तू याद कर
तू याद कर
Shekhar Chandra Mitra
मेरे गली मुहल्ले में आने लगे हो #गजल
मेरे गली मुहल्ले में आने लगे हो #गजल
Ravi singh bharati
परिस्थितियां अनुकूल हो या प्रतिकूल  ! दोनों ही स्थितियों में
परिस्थितियां अनुकूल हो या प्रतिकूल ! दोनों ही स्थितियों में
Tarun Singh Pawar
हिजरत - चार मिसरे
हिजरत - चार मिसरे
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
बचपन की अठखेलियाँ
बचपन की अठखेलियाँ
लक्ष्मी सिंह
रमेशराज के कहमुकरी संरचना में चार मुक्तक
रमेशराज के कहमुकरी संरचना में चार मुक्तक
कवि रमेशराज
#चुनावी_दंगल
#चुनावी_दंगल
*Author प्रणय प्रभात*
तेरे भीतर ही छिपा, खोया हुआ सकून
तेरे भीतर ही छिपा, खोया हुआ सकून
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कि  इतनी भीड़ है कि मैं बहुत अकेली हूं ,
कि इतनी भीड़ है कि मैं बहुत अकेली हूं ,
Mamta Rawat
क़लम, आंसू, और मेरी रुह
क़लम, आंसू, और मेरी रुह
The_dk_poetry
जब हम सोचते हैं कि हमने कुछ सार्थक किया है तो हमें खुद पर गर
जब हम सोचते हैं कि हमने कुछ सार्थक किया है तो हमें खुद पर गर
ललकार भारद्वाज
रंग जाओ
रंग जाओ
Raju Gajbhiye
Mere shaksiyat  ki kitab se ab ,
Mere shaksiyat ki kitab se ab ,
Sakshi Tripathi
यादें
यादें
Versha Varshney
तेरी गली से निकलते हैं तेरा क्या लेते है
तेरी गली से निकलते हैं तेरा क्या लेते है
Ram Krishan Rastogi
भारत की होगी दुनिया में, फिर से जय जय कार
भारत की होगी दुनिया में, फिर से जय जय कार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ग़ज़ल/नज़्म - हुस्न से तू तकरार ना कर
ग़ज़ल/नज़्म - हुस्न से तू तकरार ना कर
अनिल कुमार
बार -बार दिल हुस्न की ,
बार -बार दिल हुस्न की ,
sushil sarna
ले आओ बरसात
ले आओ बरसात
संतोष बरमैया जय
हर महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि
हर महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि
Shashi kala vyas
सुनो सुनाऊॅ॑ अनसुनी कहानी
सुनो सुनाऊॅ॑ अनसुनी कहानी
VINOD CHAUHAN
बिल्ले राम
बिल्ले राम
Kanchan Khanna
अब किसी से
अब किसी से
Dr fauzia Naseem shad
किसी एक के पीछे भागना यूं मुनासिब नहीं
किसी एक के पीछे भागना यूं मुनासिब नहीं
Dushyant Kumar Patel
#गणितीय प्रेम
#गणितीय प्रेम
हरवंश हृदय
Loading...