भ्रम का जाल
भ्रम का है जाल फैला,
है सभी यहाँ भ्रम में,
मानते है, जानते है,
खुद को अच्छा, सबसे अच्छा,
सच उलट तो है सभी का,
है सभी यहाँ भ्रम में……
अज्ञानी है सबसे बड़े वो,
जानते खुद को जो ज्ञानी,
है न कुछ भी खूबसूरत,
जो समझती खुद को रानी,
फिरे बने जो संत साधु,
है बड़े वो तो असाधु,
भ्रम का है जाल फैला ,
है सभी यहाँ भ्रम में….
कहते खुद को हमदर्द है,
वो दर्द दे सबसे बड़ा,
कहते जो है प्रेम में है,
काया के पीछे पड़ा,
फिरे बने जो योग्य नेता,
उसके जैसा अयोग्य ना,
भ्रम का है जाल फैला,
है सभी यहाँ भ्रम में…
कहते जो कभी करें न क्रोध,
उसके जैसा क्रोधी ना,
दानदाता है बड़ा जो,
उसके जैसा लोभी ना,
फिरे बने जो धर्म नेता,
उसके जैसा अधर्मी ना,
भ्रम का है जाल फैला,
है सभी यहाँ भ्रम में ….
मानते है, जानते है,
खुद को अच्छा, सबसे अच्छा,
सच उलट तो है सभी का ,
है सभी यहाँ भ्रम में…