भूमकाल के महानायक
भूमकाल विद्रोह के महानायक
गुण्डाधुर नाम विख्यात,
विदेशी दासता से मुक्ति दिलाने
किये प्रेरक प्रयास।
नेतानार के साधारण आदिवासी ने
असीम सूझबूझ दिखलाई,
अंग्रेजों की सारी सैन्य टुकड़ियों को
मारकर दूर भगाई।
सारी अंग्रेजी रणनीति को भेदकर
अपना लोहा मनवाया,
विरोध चिन्ह के रूप में जिसने
डारा-मिरी को अपनाया।
फरवरी उन्नीस सौ दस तक जिसने
बस्तर में परचम लहराया,
बाजार के बाहरी व्यापारियों को भी
उन्होंने मार भगाया।
राजा अंग्रेज दीवान और सैनिक
उनके नाम से ही थर्राए,
मगर सोनू मांझी के विश्वासघात ने
साथियों को पकड़वाए।
गुण्डाधुर अपनी तलवार लहराते
जंगल की ओर बढ़ गए,
मगर बस्तर के सन्नाटे अब भी चीखते
हमारा नायक कहाँ गए?
2019 में प्रकाशित काव्य-कृति :
‘सतरंगी बस्तर’ से…
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त।