Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 May 2024 · 1 min read

शीर्षक – चाय

शीर्षक – चाय
***********
चाय तो हम पहचानते हैं।
रिश्ते नाते और दोस्ती चाय हैं।
सुबह की चाय चाहत देती हैं।
चाय ही तो मन भाव बनातीं हैं।
सुबह शाम सुहानी चाय होती हैं।
चाय का कप हमें मन भाता है।
आधुनिक युग में भी चाय पीते हैं।
हम सबको चाय की चुस्की भाती हैं।
जीवन जिंदगी में रिश्ते चाय बनाती हैं।
एक सच चाय एक-दूसरे को मिलाती हैं।
चाय तो हम सबके साथ साथ रहती हैं।
आओ मिलकर एक चाय पीते हैं।
********************
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

Language: Hindi
37 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुक्तामणि छंद [सम मात्रिक].
मुक्तामणि छंद [सम मात्रिक].
Subhash Singhai
ज़िंदगी की कँटीली राहों पर....
ज़िंदगी की कँटीली राहों पर....
Shweta Soni
क्रिकेटी हार
क्रिकेटी हार
Sanjay ' शून्य'
यादों की महफिल सजी, दर्द हुए गुलजार ।
यादों की महफिल सजी, दर्द हुए गुलजार ।
sushil sarna
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
स्त्री एक कविता है
स्त्री एक कविता है
SATPAL CHAUHAN
मैं मधुर भाषा हिन्दी
मैं मधुर भाषा हिन्दी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
आधुनिक हिन्दुस्तान
आधुनिक हिन्दुस्तान
SURYA PRAKASH SHARMA
मीनाबाजार
मीनाबाजार
Suraj Mehra
जीत जुनून से तय होती है।
जीत जुनून से तय होती है।
Rj Anand Prajapati
ज़ख्म दिल में छुपा रखा है
ज़ख्म दिल में छुपा रखा है
Surinder blackpen
ये दुनिया भी हमें क्या ख़ूब जानती है,
ये दुनिया भी हमें क्या ख़ूब जानती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पल का मलाल
पल का मलाल
Punam Pande
■ फूट गए मुंह सारों के। किनारा कर रहे हैं नपुंसक। निंदा का स
■ फूट गए मुंह सारों के। किनारा कर रहे हैं नपुंसक। निंदा का स
*प्रणय प्रभात*
शादी कुँवारे से हो या शादीशुदा से,
शादी कुँवारे से हो या शादीशुदा से,
Dr. Man Mohan Krishna
*मन के राजा को नमन, मन के मनसबदार (कुंडलिया)*
*मन के राजा को नमन, मन के मनसबदार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
हरि का घर मेरा घर है
हरि का घर मेरा घर है
Vandna thakur
शून्य ही सत्य
शून्य ही सत्य
Kanchan verma
फूल,पत्ते, तृण, ताल, सबकुछ निखरा है
फूल,पत्ते, तृण, ताल, सबकुछ निखरा है
Anil Mishra Prahari
डा. तेज सिंह : हिंदी दलित साहित्यालोचना के एक प्रमुख स्तंभ का स्मरण / MUSAFIR BAITHA
डा. तेज सिंह : हिंदी दलित साहित्यालोचना के एक प्रमुख स्तंभ का स्मरण / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
गले की फांस
गले की फांस
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"चुनौतियाँ"
Dr. Kishan tandon kranti
सियासत में आकर।
सियासत में आकर।
Taj Mohammad
कुदरत है बड़ी कारसाज
कुदरत है बड़ी कारसाज
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
चंदा मामा से मिलने गए ,
चंदा मामा से मिलने गए ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
वो जाने क्या कलाई पर कभी बांधा नहीं है।
वो जाने क्या कलाई पर कभी बांधा नहीं है।
सत्य कुमार प्रेमी
* किधर वो गया है *
* किधर वो गया है *
surenderpal vaidya
2486.पूर्णिका
2486.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
प्रकृति के फितरत के संग चलो
प्रकृति के फितरत के संग चलो
Dr. Kishan Karigar
कछु मतिहीन भए करतारी,
कछु मतिहीन भए करतारी,
Arvind trivedi
Loading...