भूख….
वो चोर नही था
खुद की बेबसी पर उसका जोर नही था
वो आनाथ था
इसलिए समाज मे भी उसका कोई और नही था
लाचारी का मारा था
छोटा सा बालक वो भूख से तड़पता जा रहा था
रोटी से उसका नाता था
अन्न के लिए वो दर दर भटकता जाता था
पेट की आग थी
मिटाने के लिए आँखें बेगानों से भी लगाती आस थी
उसका कोई ठोर नही था
मिटा दे जो भूख वही सगा संबंधी और उसका दोस्त था
इक रोटी का इनाम मिला
एवज मे उस बालक ने होटल पे मजदूरी वाला काम किया
वो कँहा से आया
इस समाज से आया अनदेखा और नजर अंदाज किया साया
कौन था वो
वो कोई चोर नही था भूख पर उसका कोई जोर नही था……
#निखिल_कुमार_अंजान……