भूकंप
आह! पशुपतिनाथ चुप क्यों बैठे हो,
अपने भक्तों का रख लो प्राण।।
अपने बच्चों को दें दो जीवन दान,
टूट गया जब”धरहरा”,
मर गई सब “हरहरा”।।
कांप उठी जब धरा,
हाय ये सब गिरा।।
हो गये सब बेघर,
अब तो बचा है तेरा घर।
आह हिमालय! क्यों हो लाल पिले,
अब ना खेलों आंख मिचौली।
ओ मां अब ना तु डोल,
हो गई सब गोल।
बस कुछ शेष है,
वह भी हो जाए रोल।
क्षमा कर हम कपुतो को,
अब ना मार अपने पूछो को।
दे सहारा हम नादानो को,
जो बचा सके हमारे प्राणो को।।।।
____ based on Nepal earthquake 2015