भारत मां की पुकार
मुझको होती बड़ी हैरानी
देखकर तुम्हारी हर शैतानी।
तुमने जो अबतक काम किए
कुछ ठीक किए, कुछ ख़राब किए।
काम ठीक जो किए हैं तुमने
तो जग में मेरा नाम हुआ।
काम ख़राब जो किए हैं तुमने
तो मन मेरा निराश हुआ।
तुम साथ में कितने अच्छे लगते हो
न जाने फिर क्यों आपस में लड़ते हो।
तुम मुझको तो एक जैसे ही लगते हो
न जाने क्यों बार-बार बंटने लगते हो।
मेरी प्रार्थना को तुम स्वीकार करो
सभी एक-दुसरे के साथ रहो।
सिंधु घाटी से चंद्रयान तक
मैंने बहुत कुछ देखा है।
मुझपर हुए हर प्रहार को
मैंने हिम्मत करके झेला है।
साथ ही तुम्हारी ताकत है
वरना फिर तुम्हारी शामत है।
अलग हुए जो तुम एक दूसरे से
वहीं तुम सब बिखर जाओगे
साथ निभाया जो अगर तुमने
विश्व विजयी बन जाओगे।
– श्रीयांश गुप्ता