भारत को निपुण बनाओ
प्रेम भाव से मिलकर सब जन,
शिक्षा का नव दीप जलाओ।
आंगनवाड़ी शिक्षक साथी,
निज भारत को निपुण बनाओ।।
माना मुश्किल पथ है अतिशय,
नहीं कभी पर तुम घबराना।
कंटक पथ के दूर हटा के,
शांत भाव से बढ़ते जाना।
नियत लक्ष्य है पाना हमको,
ऐसा अपना साज सजाओ।
आंगनवाड़ी शिक्षक साथी,
निज भारत को निपुण बनाओ।।
बालवाटिका का हर बालक,
हिंदी वर्णों को पहचाने।
पहचान गणित के अंको को,
जोड़ घटाना करना जाने।
पढ़े लिखे हर बच्चा अपना,
गतिविधि के मधु खेल खिलाओ।
आंगनवाड़ी शिक्षक साथी,
निज भारत को निपुण बनाओ।।
समझ समझ के हिंदी पढ़ ले,
गणित क्रियाओं को भी जाने।
सुफलित तब अपना श्रम समझो,
निपुण स्वयं को शिक्षक माने।
सत्य भाव से सबजन साथी,
अपने सारे कर्म निभाओ।
आंगनवाड़ी शिक्षक साथी,
निज भारत को निपुण बनाओ।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
कानपुर नगर