भारत का अतीत
मनै त्रेता में राम देखया, कृष्ण देखया द्वापर में,
देखया हरिशचंद्र सतयुग में, कलयुग भी देखन लाग रया।
भाई खातिर भाई मरदा देखया, भाई भाई का कत्ल करदा देखया,
दोस्ती भी देखी समंदर तै गहरी, अरै आज भाई भाई की चिता पै रोटी सेखन लाग रया।।
मनै नारी का सम्मान देखा, मनै नारी का अपमान देखा,
मनै शिव शक्ति का प्यार देखया, मनै देह का व्यापार देखा।
मनै माया पाछै युद्ध देखें, शांति प्रिय बुद्ध देखे,
मनै गोरया के दिल काले, अरै कालया के दिल शुद्ध देखे।।
मनै विश्व विजेता पोरस तै हारता देखया,
बाबा दीप सिंह सिर कटनै बाद भी मारता देखा।
मनै एकलव्य बीना अंगूठे महान् धनुधर देखया,
नेत्रहीन होऐ पाछ पृथ्वीराज तीर नै पार उतारता देखया।।
मनै नालंदा में इतिहास जलदा देखया,
अपने गौरव का सूरज ढलदा देखया।
मनै राजपाट छुटता देखा,
निर्दोष फांसी टूटता देखया।।
मनै एक देह पै दस मुखड़े देखे,
अनूप कन्हडी मनै खुद के होंदे टुकड़े देखे।
मनै के के देखा नै कर सका व्यतीत हूं,
मनै समझना आसान ना मैं भारत का अतीत हूं