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8 Jul 2019 · 1 min read

बदरा कारे अब तो आ रे

पंछी व्याकुल मत तड़पा रे
धरती प्यासी मत तरसा रेे
हर कोई आकाश निहारे
बदरा कारे अब तो आ रे

व्याकुल है रे मेरी गइया
सूख रहे अब ताल तलैया
मेघा अब जमकर बरसा रे
बदरा कारे अब तो आ रे

प्यासे हैं सब बाग़ बगीचे
आकर इनको तू ही सींचे
पेड़ों को अब मत झुलसा रे
बदरा कारे अब तो आ रे

बगिया मेरी सूख रही है
मनवा में एक आग लगी है
आकर सब की प्यास बुझा रे
बदरा कारे अब तो आ रे

मेरे आंगन की यह क्यारी
बिन तेरे तड़पे बेचारी
अब तो तू अमृत बरसा रे
बदरा कारे अब तो आ रे

@ अरशद रसूल

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