भारतीय सेना के वीरों के प्रति
भारतीय सेना के वीरों के प्रति
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पवन मंद सुगंध शीतल हेममन्दिर शोभितम् ;
निकट सिन्धु बहत निर्मल, नागाधिराज हिमालयम् ।
शेष सुमिरन करत प्रतिक्षण , ध्यान धरत विश्वम्भरम् ;
व्याल-सूत्र , त्रयनेत्र भाल , अघ-वन-दहन तत्परम्।
अचल अनादि अखण्ड परात्पर, शुभ्र धवल धारितम् ;
तुष्टि-पुष्टि शुभ-लाभ , सिद्धहस्त समर्पितम् ।
सप्तसिंधु, सप्तसरोवर , सप्तार्णव तीर्थास्पदम् ;
योग-ध्यान अपार लीला , सिद्ध मुनिजन सेवितम् ।
यक्ष किन्नर, करत कौतुक , शैल-शिखर महेश्वरम् ;
विश्व पालक असुर-घालक , शत्रु-वक्ष विस्फारणम् ।
शैल-कंटक, गिरि-गुहा-गह्वर , हिम प्रहर शोभितम् ;
पुण्यभूमि स्थित मुकुटमणि, सु-धन्य वीर विराजितम् ।
धन्य-धन्य हे वीर ! धन्य ! चढत शत्रु विनाशकम् ;
कोटि-तीर्थ सुपुण्य सुन्दर, हे भारतवीर प्रणमाम्यहम् ।
✍? आलोक पाण्डेय ‘विश्वबन्धु’
आषाढ़ अमावस्या प्रमादी नामाब्द संवत्सर।