भाग्य और पुरुषार्थ
सन् 1527 के खानवा के युद्ध के कुछ समय पहले एक प्रसिद्ध ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की, कि राणा सांगा की जीत होगी और मोहम्मद जहीरुद्दीन बाबर को हार का मुख देखना पड़ेगा।
उस ज्योतिषी की भविष्यवाणी ने राणा सांगा की सेना में कितना उत्साह भर पाया, ये तो पता नहीं। लेकिन बाबर की सेना को सतर्क अवश्य कर दिया था कि मद्यपान और आमोद-प्रमोद को त्याग कर सभी अपना श्रेष्ठ पराक्रम प्रदर्शित करें।
युद्ध के पश्चात नतीजा सामने था। भाग्य की रेखा हार गई थी और पुरुषार्थ के बल पर बाबरी सेना जंग जीत चुकी थी।
मेरी प्रकाशित लघुकथा संग्रह :
‘मन की ऑंखें’ (दलहा, भाग-1) से,,,,
लघुकथाओं का संग्रह ‘दलहा’ के 1 से 7 भाग हैं।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
सुदीर्घ एवं अप्रतिम साहित्य सेवा के लिए
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।