भरें भंडार
* भरें भंडार *
***********
दीप आशा के जलायें दूर ये अँधियार हो ।
सुरसरी के नीर सा पावन दिलों में प्यार हो ।।
*
हर तरफ फैले अँधेरे देख कर भी मौन हैं ।
चीर दें तम का कलेजा एक ऐसा वार हो ।।
*
द्वेष के बिखरे पड़े हैं हर तरफ काँटे यहाँ ।
बीन लें चुन-चुन उन्हें पथ में न कोई खार हो ।।
*
मौन कलियाँ टूट जातीं खिल न पातीं डाल पर ।
अब नहीं इतना घिनौना यूँ कहीं व्यवहार हो ।।
*
पूछता हूँ क्या सुरक्षित है यहाँ कोई कली ?
डाल के दिल में न किंचित भी कली का भार हो ।।
*
बीज किसने फूट के बोये पता हमको नहीं ?
भाइयों का एक आँगन क्यों खड़ी दीवार हो ।।
*
हो गईं कितनी प्रदूषित देख लो नदियाँ यहाँ ?
आइये उपक्रम करें पावन सभी की धार हो ।।
*
ऋद्धी आये सिद्धि पायें पर्व दीपों का मने ।
‘ज्योति’ की है कामना सबका भरा भंडार हो ।।
*****
-महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
***