भगवान ! एक बार मानव बनके देख …
कितना दुष्कर होता है मानव जीवन ,
धरती पर तू एक बार जन्म लेकर देख ।
अवतार रूप में तुमने बहुत यूं जन्म लिए ,
बस एक बार साधारण मानव बनके देख ।
गरीबी,भुखमरी और नौकरी के लिए संघर्ष,
किस प्रकार करता है,तू भी करके तो देख ।
प्राकृतिक आपदा और महामारी के प्रकोप से,
डरी- सहमी उसकी जीवन ज्योति को देख ।
ऐसे कितने मुश्किल हालातो से लड़ती हुई,
डगमगाती कभी संभलती जिजीविषा को देख।
कैसे सहन करेगा कठपुतली बनना नेताओं की ,
झूठे आश्वासन की डोर पर कैसे नाचता है वो देख !!
आशा-निराशा की नाव पर अरमानों को संभाले ,
उसपर भाग्य-दुर्भाग्य का झंझावात को देख ।
तू तो आसमान में छुप के बैठा देखता सारे तमाशे,
मुक दर्शक बनना छोड़ के भुक्त भोगी बनके देख ।
तभी तुझे आभास होगा मानव जीवन के कष्टों का,
उसकी कठिन परिस्थितियों को एक बार जी के तो देख ।